बरसात के दिन गंभीर चर्चा...

By Team Sochiyega Zaroor

उस दिन बादल छाए हुए थे और बारिश हो रही थी। मेरे पति इत्मीनान से बिस्तर पर लेटे हुए थे और 'रिमझिम गिरे सावन' गाना गुनगुना रहे थे। मैं नहा राही थी।

जब मैंने कमरे में प्रवेश किया, तो उन्होंने कहा, "आपके फेसबुक पेज पोस्ट और रीलों पर केवल पुरुष सदस्यों का ध्यान जा रहा है। महिला सदस्य सक्रिय रूप से भाग नहीं ले रही हैं। क्यों?"

मैंने कहा, "मैं कैसे कह सक्ती हूं? मैं सच बोलने की कोशिश करती हूं और अपने कार्यों के माध्यम से पुरुषों और महिलाओं दोनों के कल्याण के बारे में सोचती हूं।"

फिर उन्होंने कहा, "हो सकता है, महिलाएं आपको पसंद नहीं कर रही हों... उन्हें आपसे या आपके काम से जलन होती हो l"

तब मैंने उससे कहा कि महिलाएं मुझसे क्यों ईर्ष्या करें... मैं एक साधारण इंसान के अलावा कुछ नहीं हूं। मैंने उनसे कहा कि मुझे लगता है कि आप ईर्ष्या महसूस कर रहे हैं l

तब मैंने उनसे दोबारा कहा कि इसका मतलब है कि मुझे खुद को और अधिक बेहतर बनाने की जरूरत है ताकि मैं महिला दर्शकों के दिलों को छू सकूं, जो शक्ति का अवतार हैं। किसी महिला को मनाना आसान नहीं है l

और ईर्ष्या के संबंध में, मैं एक बात बताना चाहता हूं - ईर्ष्या आपके अंदर जलने वाली आग की तरह है, यह आपको उस व्यक्ति की तुलना में तेजी से नष्ट कर देगी जिसके बारे में आप ईर्ष्या कर रहे हैं।

ईर्ष्या के लिए एक दवा है...खुद को लगातार बेहतर बनाना...इसलिए, खुद पर काम करना शुरू करें, अपने लिए और दूसरों के लिए अच्छा करें...बाकी का ख्याल भगवान रखेंगे I

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